हरियाणा की महिलाएं ट्रैक्टरों से तो पंजाब की बसों व करो में सवार होकर पहुँची आन्दोलनस्थल
बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे किसानों ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। आंदोलन के 15 किलोमीटर पड़ाव में दो स्थानों पर सभाएं हुई। इनमें हजारों की संख्या में महिलाएं पंजाब और हरियाणा के विभिन्न स्थानों से पहुंची। हरियाणा की महिलाएं जहां आंदोलन में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर नाचते-गाते हुए पहुंची तो पंजाब से महिलाएं आंदोलन में कार और बसों में सवार होकर पहुंची
महिला दिवस पर सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा व हरियाणा-पंजाब के विभिन्न किसान संगठनों की ओर से महिलाओं के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें हजारों की संख्या में महिलाएं पहुंची। नया गांव चौक के नजदीक ऑटो मार्केट मैदान पर चलने वाली सभा के लिए सोमवार को स्थल छोटा पड़ते देख पहले से ही दूसरे स्थान पर काफी बड़ा टेंट लगाया गया था। यहां पर भारतीय किसान यूनियन उग्राहा की ओर से सभा आयोजित की जा रही है। वहीं टीकरी बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सभा की जाती है। करीब 300×300 के टेंट के नीचे हजारों की संख्या में महिलाएं सभा में डटी रहीं। महिलाओं ने केंद्र सरकार के विरोधी नारे लगाए। महिलाओं ने इंकलाब जिंदाबाद, केंद्र सरकार मुर्दाबाद, किसान एकता जिंदाबाद, किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद के जोरशोर से नारे लगाए। स्टेज का संचालन भी महिलाओं ने ही संभाला।
नाचते-गाते हुए पहुंची हरियाणा की महिलाएं
आंदोलन में सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने की सूचना पर न केवल पंजाब से महिलाएं पहुंची बल्कि हरियाणा के आसपास ही नहीं, दूरदराज के जिलों से भी भारी संख्या में महिलाएं ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर नाचते-गाते हुए आंदोलनस्थल पर किसानों को समर्थन देने के लिए आई। महिलाओं ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए अनेक हरियाणवी गीत गाए। वहीं पंजाब से महिलाएं बसों में सवार होकर यहां पहुंची। दिल्ली से भी काफी संख्या में महिलाओं ने सभा में भाग लिया। किसान संगठनों ने महिलाओं को पूरा मान-सम्मान किया गया। महिला किसान नेताओं ने हाथों में हम इंकलाब हैं’ के पोस्टरों को लेकर भी महिलाओं को जागरूक किया। इस मौके पर पंजाब से पहुंची महिला परमजीत कौर, गुरदीप कौर और सतविंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि तीन माह से अधिक समय से किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे हुए हैं। सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है। किसान यहां से तभी अपने घरों की वापसी करेंगे, जब तीनों कृषि कानून रद्द हो जाएंगे
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