पंचकूला प्लॉट आवंटन घोटाला : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 22 को मिली नियमित जमानत
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 20 आरोपी सोमवार को पंचकूला प्लॉट आवंटन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अदालत में पेश हुए। मामले में पूर्व सीएम हुड्डा समेत 22 आरोपियों को नियमित जमानत मिल गई है। वहीं दो आरोपियों को पेशी से छूट दी गई थी। ईडी के वकील की तरफ से इस मामले में सभी दस्तावेज पेश किए गए। यह दस्तावेज बचाव पक्ष के वकील को सौंपे गए।
बचाव पक्ष के वकील एसपीएस परमार की तरफ से दलील दी गई कि ईडी की तरफ से सौंपे गए सभी दस्तावेजों की स्क्रूटनी करनी है। इसलिए उनको समय दिया जाए। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जो भी दस्तावेज उनको कम लगेगा, उसकी मांग अगली सुनवाई पर अदालत में की जाएगी। इस दलील को कोर्ट ने स्वीकार कर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को तय कर दी है।
ईडी के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि इसमें मुख्य आरोपी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा आईएएस धर्मपाल सिंह नागल, सुरजीत सिंह, सुभाष चंद्र कंसल, नरेंद्र सिंह सोलंकी हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भतीजे की पत्नी रेनू हुड्डा, नंदिता हुड्डा, मोना बेरी, प्रदीप कुमार, कंवरप्रीत सिंह संधू, डागर कत्याल, डॉ. गणेश दत्त, अमन गुप्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल रिटायर्ड ओपी दहिया, मनजोत कौर, वाईपीटी एंटरटेनमेंट हाउस प्रा. लिमिटेड के सिद्धार्थ भारद्वाज, भारत भूषण तनेजा, अनुपम सूद को भी आरोपी बनाया गया ।
ईडी के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि इसमें मुख्य आरोपी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा आईएएस धर्मपाल सिंह नागल, सुरजीत सिंह, सुभाष चंद्र कंसल, नरेंद्र सिंह सोलंकी हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भतीजे की पत्नी रेनू हुड्डा, नंदिता हुड्डा, मोना बेरी, प्रदीप कुमार, कंवरप्रीत सिंह संधू, डागर कत्याल, डॉ. गणेश दत्त, अमन गुप्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल रिटायर्ड ओपी दहिया, मनजोत कौर, वाईपीटी एंटरटेनमेंट हाउस प्रा. लिमिटेड के सिद्धार्थ भारद्वाज, भारत भूषण तनेजा, अनुपम सूद को भी आरोपी बनाया गया ।
फरवरी में हुई सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने पंचकूला स्थित ईडी की विशेष अदालत में 22 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। ईडी ने पंचकूला इंडस्ट्रियल प्लॉट अलॉटमेंट स्कैम में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (पीएमएलए) के तहत यह चार्जशीट दाखिल की थी।
दायर चार्जशीट के मुताबिक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिचितों को 30.34 करोड़ रुपये में 14 औद्योगिक भूखंडों को गलत तरीके से आवंटित किया था।
आरोप पत्र में चार सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शामिल हैं। ईडी ने हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा एक प्राथमिकी के आधार पर 2015 में जांच शुरू की थी। प्राथमिकी को 2016 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ईडी को केस जांच के लिए ट्रांसफर किया था। ईडी की तरफ से इस मामले की जांच करने के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित चार आईएएस अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की 120-बी, 201, 204, 409, 420, 467, 468, 471, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
दायर चार्जशीट के मुताबिक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिचितों को 30.34 करोड़ रुपये में 14 औद्योगिक भूखंडों को गलत तरीके से आवंटित किया था।
आरोप पत्र में चार सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शामिल हैं। ईडी ने हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा एक प्राथमिकी के आधार पर 2015 में जांच शुरू की थी। प्राथमिकी को 2016 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ईडी को केस जांच के लिए ट्रांसफर किया था। ईडी की तरफ से इस मामले की जांच करने के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित चार आईएएस अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की 120-बी, 201, 204, 409, 420, 467, 468, 471, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
जांच में यह तथ्य आए थे सामने
जांच में पता चला है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के पदेन अध्यक्ष रहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चार सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने गलत तरीके से भूखंडों का आवंटन किया था। ईडी की जांच में पता चला कि भूखंडों को आवंटित करने के लिए निर्धारित मूल्य को सर्कल दर से पांच गुना और बाजार दर से सात से आठ गुना कम रखा गया था।
सीबीआई ने जांच में पाया कि आवेदन की अंतिम तिथि के 18 दिन बाद आवंटन के लिए मापदंड बदल दिए गए थे। इसमें कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया गया है। जब प्लॉट अलॉट किए गए, उस दौरान पूर्व सीएम हुड्डा ही हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे। जिन्हें प्लाट अलॉट हुए वे उनके करीबी थे। एचएसवीपी की पॉलिसी 2011 के तहत निर्धारित योग्यता पूरी नहीं कर पा रहे थे। हर प्लॉट पर 15 से 35 फीसदी नुकसान सरकार को हुआ।
सीबीआई ने जांच में पाया कि आवेदन की अंतिम तिथि के 18 दिन बाद आवंटन के लिए मापदंड बदल दिए गए थे। इसमें कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया गया है। जब प्लॉट अलॉट किए गए, उस दौरान पूर्व सीएम हुड्डा ही हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे। जिन्हें प्लाट अलॉट हुए वे उनके करीबी थे। एचएसवीपी की पॉलिसी 2011 के तहत निर्धारित योग्यता पूरी नहीं कर पा रहे थे। हर प्लॉट पर 15 से 35 फीसदी नुकसान सरकार को हुआ।
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