haryana update instagram haryana update youtube haryana update facebook haryana update whatsapp haryana update x haryana update telegram किसानों व व्यापारियों-दुकानदारों के लिए मुख्य अपडेट्स: अनाज मंडी भाव व अन्य वस्तुओं के बाजार भाव 21 फरवरी 2022 - Haryana Update | Today Haryana News In Hindi

किसानों व व्यापारियों-दुकानदारों के लिए मुख्य अपडेट्स: अनाज मंडी भाव व अन्य वस्तुओं के बाजार भाव 21 फरवरी 2022

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Haryana & Rajasthan: भारत ने जैविक कपास (Organic Cotton) उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चूका है. जैविक कपास की खेती से साल 2016-17 कुल उत्पादन तकरीबन 1.55 लाख मीट्रिक टन था जो साल 2020-21 में बढ़कर 8.11 लाख मीट्रिक टन हो गया है.

देश में कपास की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेकों उपाय किए जा रहे हैं. भारत में कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार सघन खेती प्रणाली (HDPS), पानी की बूंद-बूंद से सिंचाई (Drip Irrigation), वर्षा जल संचयन, फसलों के बीच फसलों की पैदावार, खेती के बेहतरीन तौर-तरीकों को प्रोत्साहन और कपास की खेती का मशीनीकरण को बढ़ावा दे रही है.

इसके अलावा किसानों को प्राकृतिक तौर-तरीकों के कारगर इस्तेमाल और आधुनिक वैज्ञानिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. दूसरे देशों से साफ-सुथरा कपास मंगाने के बजाय घरेलू कपास उद्योग को कपास अनुसंधान संस्थानों और किसानों के साथ मिलकर कपास की पैदावार के लिए ज्यादा कारगर तरीकों की रणनीति तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहन मिल रहा है.

2016-21 के दौरान जैविक कपास का राज्यवार उत्पादन

पिछले पांच वर्षों के दौरान जैविक कपास का उत्पादन राज्यवार विवरण संलग्न किया गया है।

राज्‍य2016-172017-182018-192019-202020-21
मध्‍य प्रदेश74027.0682737.8791925.5184701.23383133.39
महाराष्‍ट्र21455.5433447.9458423.3763720.49168009.36
गुजरात22364.5555858.7151020.2855898.8085782.60
उड़ीसा23034.4058545.7174001.57103312.96106495.89
राजस्‍थान13625.5815412.8534033.2723211.3959173.79
कर्नाटक20.08578.86363.351152.122998.09
तमिलनाडु0.000.001790.422369.823771.77
तेलंगाना439.26856.001316.741343.861561.88
बिहार0.000.001.161.167.47
कुल154966 (मीट्रिक टन)247438 (मीट्रिक टन)312876 (मीट्रिक टन)335712 (मीट्रिक टन)810934 (मीट्रिक टन)
नोट: उत्पादन मात्रा (मीट्रिक टन)

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग जैविक कपास की उपज और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत कपास विकास कार्यक्रम लागू कर रहा है। आईसीएआर – केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) देश में जैविक कपास के उत्पादन वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी के विकास तथा शोधन हेतु अनुसंधान कार्य कर रहा है। सरकार, परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) नामक एक समर्पित परियोजना के माध्यम से भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है।

विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश

विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत में 360 लाख गांठ यानी 6.12 मिलियन मीट्रिक टन कपास पैदा होती है, जो पूरी दुनिया में पैदा होने वाले कपास का करीब 25 प्रतिशत है. भारत, विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है. यहां एक अनुमान के अनुसार 303 लाख गांठों की खपत हो जाती है.

Edible oil Rates Today: सरसों तेल की कीमतों में गिरावट, जल्द हो जाएगा सोयाबीन और बिनौला तेल से सस्ता

 अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेजी के चलते दिल्ली तेल-तिलहन बाजार (Oilseeds Market) में शनिवार (19 फरवरी) को मूंगफली एवं सोयाबीन तेल, तिलहन, बिनौला, CPO, पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार का देखने को मिला। दूसरी तरफ कृषि उपज मंडियों में सरसों (Mustard) की नई फसल की आवक बढ़ने से भी सरसों तेल (mustard oil ) के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक कल रात को शिकागो एक्सचेंज (Chicago Exchange) 1 फीसदी की मजबूती पर बंद हुआ था।

क्या और सस्ता होगा सरसों का तेल

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेजी के बावजूद मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहन के भाव में गिरावट रही। सूत्रों के मुताबिक़ हल्के तेलों में सोयाबीन और बिनौला तेल से जिस सरसों तेल का भाव 25-30 रुपये किलो अधिक रहा करता था, उसके नई फसल की आवक बढ़ने के बाद 15-20 दिन में इन हल्के तेलों के मुकाबले 5-7 रुपये किलो सस्ता हो जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के आयात को कम करने के साथ तेल तिलहन के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

यह है थोक भाव

मूंगफली तेल (Peanut oil price), सोयाबीन (Soya Bean Oil Price) और बिनौला तेल (Cottonseed oil Price) से सस्ता हो गया है। जबकि, बाकी तेल तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। आइए देखें बाजार में तेलों के थोक भाव (रुपये प्रति क्विंटल) क्या चल रहे हैं।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,300 रुपए/क्विंटल

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,180 रुपए/क्विंटल

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,550 रुपए/क्विंटल

सोयाबीन दाना 7050-7100 रुपए/क्विंटल

सोयाबीन लूज 6800-6965 रुपए/क्विंटल

मूंगफली – 6,125 – 6,220 रुपए/क्विंटल

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,550 रुपए/क्विंटल

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल – 2185 – 2,370 रुपए/टिन

सरसों तिलहन – 8275-8300 रुपए/क्विंटल (42% कंडीशन का रेट)

सरसों तेल दादरी- 16,580 रुपए/क्विंटल

सरसों पक्की घानी- 2445-2490 रुपए प्रति टिन

सरसों कच्ची घानी- 2645-2740 रुपए प्रति टिन

तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700-18,200 रुपए/क्विंटल

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपए

मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपए/क्विंटल

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपए

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,000 रुपए

पामोलिन एक्स, कांडला- 12,800 (बिना जीएसटी के

रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव के चलते कॉटन की कीमतों में आई स्थिरता

Cotton Price Latest Updates : रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच जारी तनाव के चलते कॉटन की कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है। राजस्थान की मंडियों में नरमा की कीमते 10,000 से 11,000 के बीच चल रही है। जबकि हरियाणा और पंजाब की मंडियों में नरमा 9200 से 10200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच कारोबार कर रहा है।

देश की प्रमुख एग्रो कमोडिटी एजेंसी स्मार्ट इनफो के मुताबिक़ देशभर की कृषि उपज मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक तकरीबन 1 लाख गांठो की हो रही है ।

Cotton Price

महाराष्ट्र और गुजरात को छोड़कर उत्तर भारत और दक्षिण भारत में सर्वाधिक आवक कम हुई है। एजेंसी के अनुसार शुक्रवार को गुजरात में भाव स्थिर रहे और 1600 से 2050 पर ही कारोबार हुआ। 29 एमएम ए ग्रेड रूई भी 77800 पर स्थिर है।

मध्य प्रदेश में आवक 6500 गांठ रह गई है, लेकिन भाव 7 हजार से 10 हजार पर स्थिर है। 30 एमएम रूई 75 आरडी 80 से 81 हजार के स्तर पर है।

अलवर, खैरथल, बहरोड लाइन पर 28.5 एमएम रूई अधिकतम 74500 बोली गई।

महाराष्ट्र में 30 हजार गांठों की आवक हुई और कपास का भाव 9500 से 10300 के आसपास दिखाई दिया। 30 एमएम रूई 81 से 81500 रुपए पर कारोबार करती दिखाई दी।

कर्नाटक बेस्ट कपास का अधिकतम भाव 10700 के स्तर पर आ गया है, जबकि 30 एमएम रूई 80500 से 81 हजार के स्तर पर है।

जबकि उड़ीसा में 31 एमएम रूई 83 से 83100 रुपए बोली जा रही है। गुंटूर में 30 एमएम रूई का भाव 81 से 82 हजार बोला गया। आदिलाबाद में कपास का भाव 8500 से 9900 और 29 एमएम रूई 80 हजार रुपए तक बोली गई।

वारंगल में कपास का भाव 8500 से 9830 रुपए और 30 एमएम रूई 81 से 81500 के स्तर पर देखी गई।

वर्ष 2021-22 का कॉटन उत्पादन

विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार ने भी अब वर्ष 2021-22 का कॉटन उत्पादन अनुमान 32.95 लाख से बढ़ाकर 34.06 लाख गांठ (प्रति 170 कि. ग्रा.) कर दिया है। हालांकि फंडामेंटल और देश के अन्य कॉटन विशेषज्ञ इस अनुमान से सहमत नही है और कॉटन का उत्पादन 2.5 करोड़ से 2.60 लाख तक सिमित होने की संभावना है । इसलिए लिए अबकी बार नरमा की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है ।

कॉटन में आने वाली है क्या बड़ी मुनाफावसूली ?

उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 76.5% अधिक हैं जबकि पिछले एक महीने में 11.7% बढ़ी है. सीसीआई के अनुसार, जनवरी 2022 तक बाजार वर्ष 2021-22 फसल की आवक 18.27 मिलियन गांठ होने का अनुमान है, जो 3 साल के औसत से 9 फीसदी कम है.

सीएआई ने 2021-22 सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान को 12.00 लाख बेल घटाकर 348.13 लाख बेल कर दिया है जबकि पिछला अनुमान 360.13 लाख बेल उत्पादन का था वहीं घरेलू खपत में 10 लाख बेल की बढ़ोतरी हुई.

यूएसडीए ने अपनी मासिक रिपोर्ट में भारत में कपास के उत्पादन को पिछले महीने के 28 मिलियन बेल से घटाकर 27.5 मिलियन बेल कर दिया है जबकि सबसे बड़े निर्यातक अमेरिका में कपास के उत्पादन में 3.61 फीसदी  की कटौती करके 17.6 मिलियन बेल कर दिया गया है.

बात करें अगर वायदा बाजारों  की तो MCX कॉटन में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है. MCX पर कॉटन की कीमतें 38 हजार के नीचे लुढ़की हैं. बाजार के जानकार के मुताबिक 2022 में कॉटन की कीमतों में तेजी ही देखने को मिलेगी. लेकिन वर्तमान में कीमतों में थोड़ी मुनाफावसूली देखने को मिल रही है. बड़ी तेजी के बाद यहाँ से मार्किट थोड़ा दायरे में रह सकती है.

जानकार के मुताबिक MCX कॉटन की कीमतें यहाँ से अब नीचे में 35500 से 36000 तक जाती दिखाई दे सकतीं हैं. कॉटन में अभी वेट एन्ड वॉच की पॉलिसी अपनानी चाहिए. लंबी अवधि में टारगेट अभी भी 40 हजार का ही है।

देश के किसानों (farmers) को संपन्न बनाने एवं कृषि क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के उद्देश्य से शुरू की गई “एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड” ( Agriculture Infrastructure Fund ) के उपयोग करने में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य बनकर उभर रहा है।

सरकार कृषि उपज के भंडारण के लिए गोदाम और वेयरहाउस बनाने पर सरकार का विशेष ध्यान है। कोविड-19 संकट के दौरान केंद्र सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज के तहत कृषि संरचना कोष (एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड) की घोषणा की थी।

कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत फसल एकत्रीकरण के लिए कोल्ड स्टोर (Cold Store), चेन वेयर हाउसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों, ई-ट्रेडिंग प्लेटफार्म से जुड़े ई-पॉइंट्स की स्थापना के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। योजना की अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष कर दी गई है, जिसके बाद अब ये योजना 2032-33 तक चलेगी। आईये, जानते हैं एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से किसानों को क्या और कैसे मिलेगा लाभ.

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना का उद्देश्य

भारतीय जन जीवन की समृद्धि का मुख्य आधार खेती और किसानी है। इसलिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता सूची में किसान शामिल है। कई बार भंडारण सुविधाओं के अभाव में किसान कम कीमतों पर फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं।

किसानों के लिए बेहतर आधारभूत संरचना का निर्माण करने से फल, सब्जियों व अन्य फसलों को रखने की सुविधा मिलेगी और कृषि उपज के खराब नहीं होने से बर्बादी भी रुकेगी। भंडारण की सुविधा मिलने पर किसान उचित समय पर सही कीमत पर अपनी फसल बेच सकेंगे।

ये है , एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की मुख्य बातें

  • Agriculture Infrastructure Fund को साल 2020 में कोविड-19 संकट के विरुद्ध  प्रोत्साहन पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ रुपए की घोषणा के साथ शुरू किया गया था, जो 2032-33 तक जारी रहेगा।
  • फसल उपरांत बुनियादी ढांचा प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-लंबी अवधि के ऋण वित्त पोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • केंद्र / राज्य / स्थानीय निकायों द्वारा संचालित फसल एकत्रीकरण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजनाओं के अलावा कोल्ड स्टोर, चेन वेयरहाउसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों, सायलोस, पैक हाउस, सोर्टिंग, लॉजिस्टिक सुविधाएं, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, रिपेयरिंग चैंबर, ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े ई-मार्केटिंग पॉइंट्स की स्थापना के लिये धन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • पात्र लाभार्थियों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से लोन के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे।
  • पुनर्भुगतान के लिए अधिस्थगन न्यूनतम 6 महीने और अधिकतम 2 वर्षों के अधीन भिन्न हो सकता है।
  • लोन पर ब्याज सबवेंशन भी प्रदान किया जाएगा।
  • लोन पर 2 करोड़ रुपए की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सबवेंशन होगा। यह सबवेंशन अधिकतम सात साल की अवधि के लिए उपलब्ध होगा।

किसे मिलेगा एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ

इस योजना के माध्यम से किसान, कृषक उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठन, स्टार्टअप, स्वयं सहायता समूह, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और कृषि से जुड़े अन्य लोगों को विशेष फायदा पहुंचाया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में कृषक, कृषक संगठनों को उद्यमी बनाने के लिए योजना से जोड़ा जा रहा है। सरकार खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी इकाइयां स्थापित करने के लिए कृषक एवं कृषम उद्यामियों को चयन करके योजना के माध्यम से उन्हें फंड उपलब्ध करा रही है। 

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम में 1558 करोड़ रुपए मंजूर

कृषि अधोसंरचना में सुधार को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। अब तक प्रदेश में एआईएफ पोर्टल पर 3 हजार 357 आवेदन दर्ज कराए जा चुके हैं।

दर्ज प्रकरणों में से 2,129 आवेदनों पर 1558 करोड़ रुपए की राशि राशि बैंकों ने स्वीकृत की है। इसमें से 1107 करोड़ का ऋण वितरण हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया है।

इस योजना से मध्यप्रदेश के किसानों को काफी फायदा होगा क्योंकि कृषि उपज के भंडारण के लिए आधारभूत निर्माण से भंडारण क्षमता बढ़ाई जाएगी।

उधारकर्ताओं को मिलेगा क्रेडिट गारंटी कवरेट

इस वित्तपोषण सुविधा से लोन प्राप्त करने वाले पात्र उधारकर्ताओं को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण हेतु सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट योजना के तहत एक क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा।

कोष का प्रबंधन और निगरानी एक ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी। यह सभी योग्य संस्थाओं को कोष के तहत लोन हेतु आवेदन करने में सक्षम बनाएगा। वहीं वास्तविक समय अर्थात् रियल टाइम निगरानी और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर की निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा। 

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