डीएसपी मर्डर: गांव में दहशत का साया, गलियां सूनीं...घरों पर ताले, पुलिस की दबिश के बाद आधा गांव खाली
डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की डंपर से कुचलकर हत्या करने वाले खनन माफिया के दुस्साहस से हर कोई हतप्रभ है। घटना के बाद से पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए मुख्य आरोपी शब्बीर उर्फ मित्तर के गांव पचगांव के ज्यादातर लोग अपने-अपने मकानों को ताला लगाकर अन्य जिलों में रहने वाले रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। जो लोग अभी गांव में हैं, वह दहशत के कारण मकानों के अंदर ही दुबके हुए हैं। उन्हें डर है कि कहीं पुलिस का कहर उन पर न टूट पड़े। ऐसे में बुधवार को गांव की गलियों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा। उधर, इस जघन्य हत्याकांड के विरोध में तावडू के कारोबारियों ने बाजार बंद कर विरोध जताया। इस दौरान लोगों की आंखों में गम, गुस्सा और गुबार साफ देखने को मिला। लोगों का कहना था कि इस मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पचगांव और आसपास पुलिस की ओर से मगंलवार देर रात तक आरोपियों की तलाशी के लिए चलाए गए सर्च अभियान के डर से कुछ ग्रामीण तो अपने मवेशियों को भी साथ ले गए।
ग्रामीण पत्रकारों को भी पुलिस समझकर उनसे भी बात करने के लिए तैयार नहीं है। असलम, हजरू, हन्नी, जमालुदीन आदि ने बताया कि घटना के बाद से ग्रामीण दहशत में है। कई लोग घरों में ताला लगाकर मवेशियों को छोड़कर चले गए है। ग्रामीणों की पुलिस प्रशासन से मांग है कि घटना में जो लोग संलिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और ग्रामीणों में फैले पुलिस के खौफ को दूर किया जाए।
वहीं, पुलिस का कहना है कि ग्रामीणों को डरने की जरूरत नहीं है। किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा, लेकिन आरोपियों को संरक्षण देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। तीन ओर से अरावली से घिरा पचगांव अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसा है। यहां से पहाड़ बहुत ही कम दूरी पर है। कच्चे रास्ते पर खनन का पत्थर लेकर आने वाले डंपर और ट्रेैक्टर दौड़ते रहते हैं। गांव के ज्यादातर लोग या तो दिहाड़ी मजदूर हैं, या फिर वाहन चालक।
कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास खुद के डंपर हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गांव के ज्यादातर लोग खनन से किसी ने किसी रूप में जुड़े हुए हैं। गांव में ज्यादातर घरों के बाहर भी पत्थरों के ढेर नजर आते हैं। कई मकानों की दीवारें तक पत्थर की बनी हुई हैं। डीएसपी हत्याकांड के मुख्य आरोपी शब्बीर के घर के सामने मैदान में भी पत्थरों का ढेर पड़ा था।
जगह-जगह नजर आते हैं अवैध खनन के निशान
पचगांव से चंद कदमों की दूरी पर ही अरावली में अवैध खनन की कहानी साफ नजर आती है। जगह-जगह पहाड़ की तलहटी में बारूद लगाकर इस तरह से ढांग बनाई गई हैं कि वहां डंपर से लेकर ट्रैक्टर टॉली तक में पत्थर भरे जाते हैं। जिस जगह डीसीपी सुरेंद्र सिंह को कुचला गया वहां पत्थर खनन के साथ ही डंपर के पहियों के निशान भी स्पष्ट दिख रहे हैं। यहां एक ओर पत्थर खनन हो रहा है तो दूसरी ओर मिट्टी का भी अवैध खनन साफ देखा जा सकता है।
नेताजी को वोट, अफसरों को नोट
नूंह जिले के कई गांव ऐसे हैं, जोकि अरावली की तलहटी में बसे हैं। इनमें पचगांव, सीलखो, छारोड़ा, चीला, धुलावट, सालाका, मालाका, पहाड़, ग्राम पंचायत सहरौला, खरक जलालपुर, चाहलका, कोटा खंडेलवा आदि शामिल हैं। इन गांवों में अवैध खनन खुलकर होता है। लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन को अच्छी तरह से जानकारी है कि इन क्षेत्रों में अवैध खनन चलता है। खनन माफिया अरावली को खोखला कर चुके हैं। पुलिस की कई चेकपोस्ट होने के बावजूद पत्थर भरे ओवरलोड डंपर यहां धड़ल्ले से गुजर जाते हैं। नेताओं को ये सभी गांव वोट बैंक के रूप में नजर आते हैं। करीब साढ़े चार हजार आबादी वाले पचगांव में ही 2500 से ज्यादा वोटर हैं।
पुलिस के वादे पर मजिस्द से की गई अपील
पुलिस कार्रवाई के खौफ से पचगांव के लोगों के पलायन की जानकारी मिलने पर आलाधिकारियों ने गांव की सरपंच को भरोसा दिलाया कि कार्रवाई सिर्फ आरोपियों पर ही होगी। निर्दोष लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। गांव की सरपंच मैमुना ने बताया कि पुलिस अधिकारियों के इस भरोसे के बाद गांव की मजिस्द से अपील की गई कि कोई भी निर्दोष व्यक्ति अनावश्यक भयभीत होकर गांव से न जाए।
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