haryana update instagram haryana update youtube haryana update facebook haryana update whatsapp haryana update x haryana update telegram शोक की लहर: रेजांगला युद्ध के हीरो कैप्टन रामचंद्र का निधन, 1300 चीनियों का धूल चटा जिंदा वापिस आया था रेवाड़ी के गांव मंदौला का वीर - Haryana Update | Today Haryana News In Hindi

शोक की लहर: रेजांगला युद्ध के हीरो कैप्टन रामचंद्र का निधन, 1300 चीनियों का धूल चटा जिंदा वापिस आया था रेवाड़ी के गांव मंदौला का वीर

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 1962 में लद्दाख में चुशुल घाटी की 18 हजार फुट ऊंची रेजांगला पोस्ट पर चीनी सेना को धूल चटाने वाले वीर चक्र विजेता रेवाड़ी के गांव मंदौला निवासी कैप्टन रामचंद्र का निधन हो गया है। अपने पैतृक गांव मंदोला में 13 अप्रैल को उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। कैप्टन रामचंद्र वे योद्धा थे जो चीन के हजारों सैनिकों से लड़कर जीवित लौटे थे। अहीरवाल के वीर के निधन पर अनेक सामाजिक संगठनों व राजनीति दलों के लोगों की ओर से श्रद्धांजलि दी गई। 1962 के भारत-चीन युद्ध में 13 कुमाऊं यूनिट का एक दस्ता रेजांगला पोस्ट पर तैनात था। अल सुबह भारी मात्रा में हथियारों के साथ चीनी सेना के 5-6 हजार जवानों ने लद्दाख पर हमला बोल दिया था। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व वाली 13 कुमाऊं की एक टुकड़ी चुशुल घाटी की हिफाजत के लिए रेजांगला पोस्ट पर तैनात थी।

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रेजांग ला युद्ध। - फोटो : फाइल फोटो
17 नवंबर की रात तेज आंधी-तूफान के कारण रेजांगला की बर्फीली चोटी पर मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में मोर्चा संभाल रहे सी कंपनी से जुड़े इन जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। ऐसी ही विषम परिस्थिति में 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया। 18 हजार फीट ऊंची इस पोस्ट पर सूर्योदय से पूर्व हुए इस युद्ध में भारत के वीरों की वीरता देखकर चीनी सेना कांप उठी।
 

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रेजांग ला युद्ध। - फोटो : फाइल फोटो
जब गोलियां खत्म हो गई तो जवानों ने अपनी बंदूकों से ही दुश्मन को मारना शुरू कर दिया और रेजांगला पोस्ट पर दुश्मन का कब्जा होने नहीं दिया। इस युद्ध में 124 में से कंपनी के 114 जवान शहीद हो गए थे। इन जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था। इन सैनिकों में से अधिकतर दक्षिण हरियाणा के वीर शामिल थे।
 

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रेजांग ला युद्ध - फोटो : फाइल फोटो
सैन्य इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ बहादुरी के इतने पदक नहीं मिले। रेजांगला युद्ध में शहीद हुए वीरों में मेजर शैतान सिंह, पीवीसी जोधपुरव नर्सिंग सहायक धर्मपाल सिंह दहिया (वीर चक्र) को छोड़कर बाकी सभी जवान वीर अहीर थे। इनमें से भी अधिकतर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और सीमा से सटे अलवर के रहने वाले थे।
 

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कैप्टन रामचंद्र - फोटो : फाइल फोटो
रेजांगला युद्ध में जीवित बचने वाले भारतीय जवानों में से कैप्टन रामचंद्र भी एक थे। कैप्टन 19 नवंबर को कमान मुख्यालय पहुंचे थे और घायल होने के कारण 22 नवंबर को उनको जम्मू स्थित एक आर्मी अस्पताल में ले जाया गया था। रामचंद्र का मानना था कि वह जिंदा इसीलिए बचे ताकि पूरे देश को रेजांगला युद्ध की वीर गाथा बता सके। बीते दिनों जब चीन की ओर से भारतीय सीमा में घुसकर कुछ जवानों को धोखे से मारा गया था तो रामचंद्र ने कहा था कि वह भी चीनियों को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं। रेजांगला शौर्य समिति के महासचिव एडवोकेट नरेश चौहान ने कैप्टन के निधन पर कहा कि भारत की माटी से एक वीर विदा हो गया है। उनकी वीरता का जितना सम्मान किया जाए उतना कम है।

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