कुंडली बॉर्डर पर किसानों ने बनाई 1.5 लाख की झोपड़ी, मिट्टी के घर की खासियत देख आप भी रह जाएंगे दंग
कुंडली बार्डर पर पिछले चार महीने से धरने पर बैठे कृषि कानून विरोधी आंदोलनकारियों ने गर्मी और लू से बचाव के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सर्दी खत्म होते ही इन्होंने बांस, सरकंडों और पुआल से झोपड़ियां बनाई थीं, लेकिन भीषण गर्मी से ये झोपड़ियां लोगों का बचाव नहीं कर सकतीं। ऐसे में पंजाब के रोपड़ से आए लोगों ने झोपड़ी की अंदरूनी एवं बाहरी दीवारों पर चिकनी मिट्टी की लिपाई कर दी है। यहां तक कि झोपड़ी के फर्श की भी लिपाई-पुताई कर उन्हें आकर्षक रूप दिया गया है।
रोपड़ जिले के गांव बुराहनपुर से कुंडली बार्डर पहुंचे हरदीप सिंह और संजय ने बताया कि चार महीने पहले जब धरना शुरू हुआ तो उस समय ठंड की शुरुआत हो चुकी थी। इसके बाद भीषण ठंड भी आंदोलनकारियोंका मनोबल नहीं तोड़ पाई। अब चूंकि गर्मी शुरू हो गई है, तो इससे बचाव का भी प्रबंध किया जा रहा है। बांस और सरकंडों से झोपड़ियां तो बना लीं, लेकिन चूंकि ये गर्मी और तपती लू से लड़ने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए इसका भी तोड़ निकाला गया है। झोपड़ी की अंदरूनी दीवारों पर चिकनी मिट्टी से लिपाई कर दी गई है। फर्श को भी मिट्टी से लीपा-पोता गया है
एक झोपड़ी में आठ चारपाइ बिछाने की जगह
एक झोपड़ी में कई चारपाइयां बिछाने की जगह है। एक-एक झोपड़ी में आठ चारपाइयां तक बिछाई गई हैं। यहां तक कि झोपड़ी में आधुनिक टायलेट, वाशबेसिन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। ठंडे पानी के लिए फ्रिज के साथ एलईडी स्क्रीन और पंखे भी लगे हैं। आगजनी से बचने के लिए अग्निरोधी उपकरण भी लगाए गए हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि उनको पता था कि आंदोलन लंबा चलने वाला है, इसी वजह से सड़क पर ही छोटा, लेकिन शानदार घर बना दिया। वीरेंद्र सिंह ने बताया झोपड़ीनुमा घर को बनाने में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया है।
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