विवि प्रशासन शक के घेरे में : वीसी ने कहा छात्रा के आने का नही था पता पर 13 दिन के भीतर छात्रा ने वीसी को दो पत्र लिखे थे जिसमें था जिक्र…
परिजनों ने शव लेने से किया इंकार तो वीसी व पुलिस का परिवार को आश्वासन- जिम्मेदार के खिलाफ होगी कार्रवाई
मृतक सोनिया डबासहिसार। सोमवार को जीजेयू की रिसर्च स्कॉलर द्वारा डिपार्टमेंट की लैब में जहरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या की गई थी। जिसके बाद से ही युवती के परिजनों ने विवि प्रशासन व उसकी गाइड पर आरोप जड़े थे। वहीं दूसरे दिन मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद युवती के शव को परिजनों ने लेने से मना कर दिया था। परिजनों की मांग थी कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नही हो जाती वे छात्रा के शव को नही लेंगे। इसके बाद परिजनों ने विवि में जाकर वीसी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद परिजनों ने शव को लेकर 12 क्वार्टर स्थित शमशान घाट में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
बता दें परिजनों का कहना था कि विभाग के एचओडी द्वारा उनकी बेटी पर अवैध संबंध बनाने का दबाव दिया जा रहा था। वहीं विवि प्रशासन द्वारा भी उससे उसका कंप्यूटर लिया जा रहा था जिसमें उसकी आज तक का कार्य था। इन दोनों बातों से तंग आकर उनकी बेटी ने ये कदम उठाया है। वहीं इस मामले में विवि प्रशासन का कहना है कि एचओडी द्वारा बनाए गए किसी दबाव की शिकायत उन्हें नही मिली।
छात्रा के भाई सोमपाल ने बताया कि वीसी द्वारा उसके पिता से बातचीत की गई। जिसमें वीसी ने आश्वासन दिया है कि तफ्तीश में जो भी आरोपी पाया जाता है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं पुलिस प्रशासन ने भी परिजनों को निष्पक्ष तौर पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। डीएसपी अशोक कुमार ने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर परिजनों को आश्वास्त किया व कहा कि इस मामले में जांच कर आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
बड़ा सवाल यही है कि जहां एक और वीसी द्वारा कहा जा रहा है कि उन्हे छात्रा के विवि परिसर में आने की बात नही पता थी वहीं दूसरी और छात्रा द्वारा लिखा गया पत्र व ईमेल इस बात को सिरे से नकार रहे हैं। बता दें कि छात्रा द्वारा 30 अप्रैल को वीसी को पत्र लिखा गया था जिसपर विभाग की चेयरपर्सन के भी साइन है। इस पत्र में छात्रा ने साफ साफ लिखा है कि वह बहुत मुश्किल से यहां ये कार्य करने के लिए आ रही है। पहले ही एक साल महामारी के कारण खराब हो चुका है। इसलिए आपसे उम्मीद करती हूं कि इस मामले में आप (वीसी) साथ देंगे। वहीं शायद इस पर वीसी द्वारा कोई आदेश नही किए गए व छात्रा को बार बार कम्पयूटर वापिस देने की बात कही जा रही थी जिसके बाद सोनिया द्वारा 13 मई को फिर से ईमेल की गई। जिसमें छात्रा ने फिर से यही बातें लिखी।
एबीवीपी ने की एसआईटी जांच की मांग :
ABVP ने GJU हिसार की रिसर्च छात्रा सोनिया डबास के आत्महत्या मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व गृह व तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज को कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए जिला उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी के माध्यम से ईमेल से ज्ञापन भेजा व कुलपति प्रो०टंकेश्वर कुमार को भी ज्ञापन की प्रति भेजी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह-मंत्री गौरव कादयान व जीजेयू इकाई अध्यक्षा नित्या चुघ ने कहा की एबीवीपी विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। 17 मई को पीएचडी रिसर्च स्कॉलर सोनिया डबास द्वारा आत्महत्या किया जाना हृदयविदारक घटना है। उन्होंने कहा कि एक होनहार छात्रा का डिपार्टमेंट में ही जहर खाकर सुसाइड कर लेना एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की छवि व प्रसाशनिक व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है, तथा होनहार छात्र-छात्राओं का मनोबल कमजोर करता है। दिवंगत छात्रा व पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच विजिलेंस से कराए जाने की मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री व कुलपति से की है। पूर्ण विश्वास है कि प्रदेश सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच विजिलेंस से कराकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाकर मृत छात्रा व पीड़ित परिवार को अति शीघ्र न्याय दिलाने का कार्य करेगी।
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार गाइड व अन्य पर हो कार्रवाई : छात्र संघ
छात्र संगठन डॉ अंबेडकर स्टूडेंट्स फ्रंट ऑफ इंडिया (DASFI-Regd) कड़े शब्दों में निंदा करता है एंव शोधार्थी को विश्वविद्यालय बंद होने पर भी लैब में बुलाया किसने इसकी जांच कि मांग करता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शोधार्थी सोनिया ने कुलपति महोदय को मेल के माध्यम से अपनी समस्या बारे अवगत कराया गया था। तो इस मामले में कोई भी कार्यवाही क्यों विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा नही कि गई। हाल ही में नैनो विभाग से ही एक शोधार्थी के डेटा चोरी मामले में भी नैनो विभाग का रवैया ढुलमुल रहा है। शोधार्थियों के साथ इस प्रकार से बर्ताव करना विभाग पर कड़े सवाल खड़े करता है। हमारे बीच से सोनिया का जाना विभाग कि गलत मंशा, विभाग का शोधार्थी को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना, मानसिक रूप से तंग करना इसकी पूरी जांच विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर कि समिति से कराई जाए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अनुसार गाइड एंव विभागाध्यक्ष पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। उनको अयोग्य घोषित किया जाए।
डासफी छात्र संगठन के चेयरमैन संजू (MCA) इसको लेकर जल्द ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, केंद्रीय महिला आयोग, महामहिम राज्यपाल हरियाणा, शिक्षा मंत्री हरियाणा आदि को भी इस पर कड़ा संज्ञान व तवरित कार्यवाही के लिए लिखेगा। और जैसे ही हालत समान्य होंगे इसको लेकर विश्वविद्यालय में छात्रों/शोधार्थियों के लिए इस प्रकार कि शोषण/प्रताड़ित/तंग/उकसाना/परेशान करने पर तुरंत छात्रों/शोधार्थियों के लिए एक counselling cell कि मांग करेगा। जिसमें विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर, छात्र व शोधार्थी उसके सदस्य होंगे। ताकि छात्र/शोधार्थी किसी भी परेशानी में अपनी समस्या साँझा कर सके।
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